तामिया डेस्क रिपोर्ट: आज 1857 की क्रांति के जननायक राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस है, जिस पर प्रदेश में बड़े बड़े आयोजन हो रहे हैं। 1857 की क्रांति के जननायक राजा शंकर शाह और राजकुमार रघुनाथ सिंह दो ऐसे योद्धा थे जिन्होंने पूरे महाकौशल में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का बिगुल फूंक दिया था। आज जननायक राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह का बलिदान दिवस पर तामिया विकासखण्ड के ग्राम पंचायत झिरपा में श्रद्धाजलि कार्यक्रम का अयोजन किया गया। जिसमें राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह का 165 वा बलिदान दिवस सर्व आदिवासी समाज के तत्वाधान में मनाया गया।
ये रहे मौजूद -
कार्यक्रम में सरपंच सुनील मर्सकोले, उप सरपंच दीपक राय, अधिवक्ता हिमवंत शाह ऊर्फ सोनू ठाकुर , ब्रजपाल शाह ठाकुर,जयराम ठाकुर,सागर ठाकुर ,परसू ठाकुर,राज परतेती,रवि शंकर परतेती,पुरुषोत्तम परतेती, रामफल कुमेरे,सुखदास सल्लाम,गुरु उइके,हरिराम मर्सकोले, पप्पू राय,गोरेलाल ठाकुर, एवम आसपास के गांव के ग्रामीण उपस्थित रहे।
जानिए कौन थे राजा शंकर शाह और रघुनाथ शाह?
आपको बता दें कि 1857 में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजीमेंट का कमांडर क्लार्क बहुत ही क्रूर था। वह इलाके के छोटे राजाओं, जमीदारों को बहुत परेशान किया करता था और मनमाना कर वसूला करता था। तब जबलपुर और मंडला के तत्कालीन गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह ने अंग्रेज कमांडर क्लार्क के सामने झुकने से इंकार कर दिया था। दोनों ने आसपास के राजाओं को अंग्रेजों के खिलाफ इकट्ठा करना शुरू किया। बाद में अंग्रेज कमांडर ने धोखे से पिता-पुत्र को बंदी बना लिया था। 14 सितंबर को दोनों को बंदी बना लिया गया था और 18 सितंबर को दोनों को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया था। उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को इस दिन को बलिदान दिवस के रूप में मनाता रहा है।